+ अब अनशन के भेद कहते हैं- -
अद्धाणसणं सव्वाणसणं दुविहं तु अणसणं भणियं ।
विहरंतस्स य अद्धाणसणं इदरं च चरिमंते॥214॥
अद्धा अनशन और सर्व अनशन दोविध अनशन तप जान ।
ग्रहण तथा प्रतिसेवन में हो प्रथम अन्य हो अन्तिम काल1॥214॥
अन्वयार्थ : अद्धा नाम काल का है । अत: काल की मर्यादा करके भोजन का त्याग करना, वह अद्धानशन है और यावज्जीव मरणपर्यंत इस पर्याय में भोजन का त्याग करना, वह सर्वानशन है । वह जब तक चारित्र में अच्छी रीति से प्रवर्तन रहे, उतने (समय तक) अद्धानशन है और जब आयु का अन्त आ जाये, तब सर्वानशन होता है ।

  सदासुखदासजी