
होइ चउत्थं छठ्ठट्ठमाइ छम्मासखवणपरियंतो ।
अद्धाणसणविभागो एसो इच्छाणुपुव्वीए॥215॥
चौथे छठवें और माह छह तक होते अनशन के भेद ।
अद्धा अनशन करते मुनिवर इच्छा पूर्वक हो निर्खेद॥215॥
अन्वयार्थ : अपनी इच्छा पूर्वक चतुर्थ अर्थात् एक उपवास, षष्ठ/बेला, अष्टम/तेला इत्यादि छह माह के उपवास पर्यंत मर्यादा पूर्वक भोजन के त्याग रूप अद्धानशन का भेद है ।
सदासुखदासजी