+ अब रसपरित्याग तप का क्रम कहते हैं- -
खीरदधिसप्पितेल्लं गुडाण पत्तेगदो व सव्वेसिं ।
णिज्जूहणमोगाहिम पणकुसणलोणमादीणं॥220॥
दूध दही घी पुवे तेल गुण सूप और लवणादिक का ।
सबका अथवा एक-एक का त्याग यही है रस परित्याग॥220॥
अन्वयार्थ : दूध, दही, घृत, तेल, गुड - इनका त्याग सर्व रस त्याग है तथा पूप/पूआ, पत्र, शाक, व्यंजन, लवणादि का त्याग रस परित्याग है ।

  सदासुखदासजी