
अरसं च अण्णवेलाकदं च सुद्धोदणं च लुक्खं च ।
आयंबिलमायामोदण च विगडोदणं चेव॥221॥
नीरस अरु ठण्डा भोजन या शुद्ध भात रूखा भोजन ।
काँजी मिश्रित भात अल्पजल बहु चावलवाला भोजन॥221॥
अन्वयार्थ : अरस/स्वादरहित तथा अन्य बेला को/अन्य समय का किया गया शीतल तथा शुद्धोदन/किसी से मिला नहीं, रूक्ष/लूखा, आचाम्ल, आयामोदन/थोडे जल में चावल तथा विकृतोदन/अत्यंत पका, उष्ण जल से मिला । तथा -
सदासुखदासजी