
साधारणं सवीचारं सणिरुद्धं तहेव वोसट्टं ।
समपादमेगपादं गिद्धोलीणं च ठाणाणि॥228॥
साधारण20 सविचार21 तथा सनिरुद्ध22 और तन का उत्सर्ग23 ।
एक पाद24 समपाद25 गिद्धवत्26 खड़े रहें स्थान सु-योग॥228॥
अन्वयार्थ : स्तम्भादि का आश्रय लेकर खडे रहना, वह साधारण है और पहले गमन करना, बाद में खडे रहना सविचार है । निश्चल खडे रहना सन्निरुद्ध है । काय से ममत्व छोडकर तिष्ठना कायोत्सर्ग है । समपाद करके खडे रहना समपाद है । एक पैर से तिष्ठना एकपाद है और गृद्ध के ऊर्ध्वगमन की तरह बाहू/हाथ पसार कर खडे रहना गृद्धोलीन है -इत्यादि निश्चल अवस्थान काय-क्लेश है ।
सदासुखदासजी