एवमवलायमाणो भावेमाणो तवेण एदेण ।
दोसे णिग्घाडंतो पग्गहिददरं परक्कमदि॥240॥
इसप्रकार तप में तत्पर हो दुर्धर तप से नहीं डरे ।
नष्ट करे दोषों को एवं शिवपुर पथ में शीघ्र चले॥240॥
अन्वयार्थ : इस प्रकार तप से पीछे नहीं हटने वाले साधु बाह्य तप के द्वारा दोष/अशुभ परिणाम का नाश करके अतिशयरूप पराक्रम को प्राप्त होते हैं ।

  सदासुखदासजी