
आयंबिलणिव्वियडीहिं दोण्णि आयंबिलेण एक्कं च ।
अद्धं णादिविगट्ठेहिं अदो अद्धं विगठ्ठेहिं॥259॥
निर्विकृति1-आचाम्ल करे दो वर्ष पुनः एक2 आचाम्ल ।
छह मास करे मध्यम तप, तप उत्कृष्ट करे अन्तिम छह मास॥259॥
अन्वयार्थ : आचाम्ल/अल्प-आहार तथा नीरस भोजन द्वारा दो वर्ष पूर्ण करना, एक वर्ष आचाम्ल/अल्प भोजन के द्वारा पूर्ण करना, अर्द्ध वर्ष अति उत्कृष्ट तप करके पूर्ण करना,
सदासुखदासजी