+ आगे और विशेष कहते हैं- -
भत्तं खेत्तं कालं धादुं च पडुच्च तह तवं कुज्जा ।
वादो पित्तो सिंभो व जहा खोभं ण उवयंति॥260॥
क्षेत्र, काल, भोजन अरु शारीरिक प्रकृति का करे विचार ।
इसप्रकार तप करने लायक बात-पित्त-कफ में न विकार॥260॥
अन्वयार्थ : शाक सहित आहार या मोठ/मठ, चना इत्यादि या शाक व्यंजन रहित आहार और क्षेत्र जलरहित तथा कोई जलसहित । काल शीतकाल, उष्णकाल या वर्षाकाल । धातु

  सदासुखदासजी