
अज्झवसाणविसुद्धी कसायकलुसीकदस्स णत्थित्ति ।
अज्झवसाणविसुद्धी कसायसल्लेहणा भणिदा॥264॥
जिसका चित्त कषायों से कलुषित उसके नहिं शुभपरिणाम ।
इसीलिए परिणाम विशुद्धि का कषाय-सल्लेखन नाम॥264॥
अन्वयार्थ : कषायों द्वारा मलिन हैं परिणाम जिनके, उनके परिणामों की उज्ज्वलता नहीं होती है; अत: कषाय को कृश करना, मंद करना, यह परिणामों की उज्ज्वलता है ।
सदासुखदासजी