पं-सदासुखदासजी
कालं संभावित्ता सव्वगणमणुदिसं च वाहरिय ।
सोमतिहितरणणक्खत्तविलग्गे मंगलोगासे॥278॥
अपनी आयु विचार बुलायें सकल संघ अरु बालाचार्य ।
शुभ दिन शुभ नक्षत्र लग्न शुभ करण-देश शुभ करें विचार॥278॥
सदासुखदासजी