पं-सदासुखदासजी
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अब वैयावृत्त्य किस-किस प्रकार से करते हैं, यह कहते हैं -
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सेज्जागासणिसेज्जा उवधी पडिलेहणाउवग्गहिदे ।
आहारो सहवायणविकिंचणुव्वत्तणादीसु॥310॥
शय्या और निषद्या1 देना उपकरणों का प्रतिलेखन ।
स्वाध्याय कराना औषधि देना करवट देना2, मल शोधन॥310॥
सदासुखदासजी