पडिमापडिवण्णा वि हु करंति पाओवगमणमप्पेगे ।
दीहद्धं विहरंता इंगिणिमरणं च अप्पेगे॥2078॥
आयु शेष तो प्रतिमा योग धरें प्रायोपगमन धारें ।
कर विहार कुछ काल और फिर मुनिवर इंगिनिमरण करें॥2078॥
अन्वयार्थ : जिनकी आयु का अवशेष काल अति अल्प रह गया है, ऐसे कितने ही साधु तो प्रतिमायोग धारण करके प्रायोपगमन संन्यास करते हैं । कितने ही साधु बहुत काल प्रवर्तन करके इंगिनीमरण को प्राप्त होते हैं । इस प्रकार इस में पंडितमरण के तीन भेदों में प्रायोपगमन नाम के तीसरे मरण का नौ गाथाओं में वर्णन किया ।

  सदासुखदासजी