+ अब उनके ही उदाहरण देते हैं - -
कोसलय धम्मसीहो अट्ठं साधेदि गिद्धपुठ्ठेण ।
णयरम्मिय कोल्लगिरे चंदसिरिं विप्पजहिदूण॥2080॥
कौशल नगरी धर्मसिंह नृप भार्या तज दीक्षा लेकर ।
कोल्लगिरि नगरी में जाकर समता मय आराधन की॥2080॥
अन्वयार्थ : कोशलनगर में कुलगिरि पर्वत पर धर्मसिंह नाम के राजा ने चन्द्रश्री नाम की पत्नी का त्याग करके गृद्ध-पिच्छ द्वारा अपना आत्मार्थ साधा था ।

  सदासुखदासजी