+ यही लब्धिसार नामक सिद्धांत ग्रन्थ में कहा है - -
पंच य अणुव्वदाइं सत्तयसिक्खाउ देसजदि धम्मो ।
सव्वेण य देसेण य तेण जुदो होदि देसजदी॥2086॥
अणुव्रत पाँच सात शिक्षाव्रत श्रावक देशव्रती धारी ।
बारह व्रत के एकदेश का पालक भी है देशयति॥2086॥
अन्वयार्थ : पंच अणुव्रत और सात शिक्षाव्रत - ये बारह व्रत देशयति/एकदेशव्रती का धर्म है । जो श्रावक इन बारह व्रतों को सम्पूर्णरूप से या एकदेश से युक्त होता है, वह श्रावक एकदेश यति या एकदेश संयमी या व्रती होता है ।

  सदासुखदासजी