+ अब पंच अणुव्रतों के नाम कहते हैं - -
पाणवधमुसावादादत्तादाणपरदार गमणेहिं ।
अपरिमिदिच्छादो वि अ अणुव्वयाइं विरमणाइं॥2087॥
प्राणघात अरु मृषावाद चोरी परनारी का सेवन ।
अमर्याद इच्छाओं से, हो विरति पाँच अणुव्रत जानो॥2087॥
अन्वयार्थ : हिंसा, असत्य, अदत्तादान, परदारागमन, परिमाणरहित परिग्रह - इन पंच पापों का एकदेश त्याग पंच अणुव्रत है ।

  सदासुखदासजी