+ चक्की, चूल्हा, ओखली, बुहारी, पानी का परिंडा साफ करना, द्रव्य का उपार्जन - -
आसुक्कारे मरणे अव्वोच्छिण्णाए जीविदासाए ।
णादीहि वा अमुक्को पच्छिमसल्लहणमकासी॥2090॥
मरण अचानक हो जीवन-आशा नहिं बन्धुवर्ग संयुक्त ।
तो सम्यग्दृष्टि श्रावक पश्चिम सल्लेखन ग्रहण करें॥2090॥
अन्वयार्थ : श्रावकव्रत के धारक का शीघ्र मरण आ जाने पर, जीवित की आशा नहीं छूटने पर या अपने कुटुम्बियों के नहीं छूट पाने पर पश्चिम सल्लेखना करता है ।

  सदासुखदासजी