
जो भत्तपदिण्णाए उवक्कमो वित्थरेण णिद्दिट्ठो ।
सो चेव बालपण्डिदमरणे णेओ जहाजोग्गो॥2092॥
जो विधि भक्त प्रत्याख्यान की कही गई विस्तार सहित ।
पण्डित-बाल मरण में भी विधि यथायोग्य जानो वैसी॥2092॥
अन्वयार्थ : जो भक्तप्रतिज्ञा में संन्यास का विस्तारपूर्वक कथन किया है, वैसा ही बालपंडितमरण में भी यथासंभव जानने योग्य है ।
सदासुखदासजी