
मत्थय सूचीए जधा हदाए कसिणो हदो भवदि तालो ।
कम्माणि तधा गच्छंति खयं मोहे हदे कसिणे॥2108॥
यथा ताड़ की मस्तक सूची1 टूटे तो तरु होता नष्ट ।
तथा मोह क्षय होने पर ही शेष कर्म सब होते नष्ट॥2108॥
अन्वयार्थ : जैसे ताल वृक्ष की मस्तक की सूची/सबसे ऊपर के भाग को हनने से सारा ही ताल वृक्ष नष्ट हो जाता है, तैसे ही मोहकर्म का नाश होते ही सभी कर्म नाश को प्राप्त हो जाते हैं ।
सदासुखदासजी