
ठिदिबंधस्स सिणेहो हेदू खीयदि य सो समुहदस्स ।
सडदि य खीणसिणेहं सेसं अप्पट्ठिदी होदि॥2121॥
समुद्घात से स्थिति बन्ध की चिकनाई होती है नष्ट ।
स्नेह क्षीण होने पर कमाब की स्थिति भी होय विनष्ट॥2121॥
अन्वयार्थ : समुद्घात करने वाले जिनेन्द्र के स्थितिबन्ध का कारण सचिक्कणता का नाश हो जाता है और कर्म स्थिति की चिकनाई नाश हो जाये, जब जिसकी चिकनाई नष्ट हुए ऐसे कर्म तो आत्मा से छूट ही जाते हैं/नष्ट हो जाते हैं और जिसकी सम्पूर्ण चिकनाई नहीं मिटती, वह अल्प स्थितिरूप होता है ।
सदासुखदासजी