+ के स्वामीपने को प्राप्त होने के बाद मन, वचन, काय के निमित्त से आत्मप्रदेशों का हलन- -
बादरवचिजोगं बादरेण कायेण बादरमणं च ।
बादरकायंपि तधा रंभदि सुहुमेण काएण॥2124॥
बादर काय योग से करते बादर मन-वच योग निरोध ।
सूक्षम काय योग से करते बादर काय योग निरोध॥2124॥

  सदासुखदासजी