
सुहुमकिरिएण झाणेण णिरुद्धे सुहुमकाययोगे वि ।
सेलेसी होदि तदो अबंधगो णिच्चलपदेसो॥2127॥
सूक्ष्मक्रियामय शुक्लध्यान से सूक्ष्म काय का करें निरोध ।
बनें अबन्धक, अचल प्रदेशी, जिन, शैलेशी, हों बिन योग॥2127॥
अन्वयार्थ : सूक्ष्मक्रियारूप ध्यान से सूक्ष्मकाययोग का निरोध होने पर सम्पूर्ण शीलों के स्वामी होते हैं और आत्मा के प्रदेश निश्चलरूप हो बन्धरहित हो जाते हैं ।
सदासुखदासजी