पं-सदासुखदासजी
णामक्खएण तेजोसरीरबन्धो वि खीयदे तस्स ।
आउक्खएण ओरालियस्स बंधो वि खीयदि से॥2133॥
नामकर्म क्षय होने से तैजस तन बन्धन होता नष्ट ।
आयु कर्म क्षय होने से औदारिक तन बन्धन होता नष्ट॥2133॥
सदासुखदासजी