संगजहणेण बलहुदयाए उढ्ढं पयादि सो जीवो ।
जध लाउगो अलेओ उप्पददि जले णिबुड्डो वि॥2135॥
ज्यों मिट्टी के लेप रहित तूंबी जल में ऊपर रहती ।
संग रहित हल्का होने से जीवों की हो ऊर्ध्व गति॥2135॥
अन्वयार्थ : जैसे जल में निमग्न तूम्बी भी यदि लेपरहित हो तो जल के ऊपर आ जाती है, तैसे ही समस्त कर्म का तथा नोकर्म का संग छूट जाता है, तब जीव शीघ्र ही ऊर्ध्वता को प्राप्त होता है ।

  सदासुखदासजी