
दसविधपाणाभावो कम्माभावेण होइ अच्चंतं ।
अच्चंतिगो य सुहदुक्खाभावो विगद देहस्स॥2143॥
कमाब का अभाव होने से दश प्राणों का नहिं सद्भाव ।
देह नहीं है अतः उन्हें इन्द्रिय सुख-दुःख का नहिं सद्भाव॥2143॥
अन्वयार्थ : सिद्ध भगवान को प्रगट हुआ है तथा इन्द्रियजनित सुख तो वेदना का इलाज है, उसका क्या प्रयोजन है?
सदासुखदासजी