विसएहिं से ण कज्जं जं णत्थि छुदादियाउ बाधाओ ।
रागादिया य उवभोगहेदुगा णत्थि जं तस्स॥2161॥
विषयों से न प्रयोजन उनको क्योंकि क्षुधादिक बाधाहीन ।
उपभोगों के हेतु भूत रागादिक उनको रहे नहीं॥2161॥
अन्वयार्थ : सिद्ध भगवान के उपभोग के कारण रागादिक भी नहीं हैं ।

  सदासुखदासजी