एदेण चेव भणिदो भासण चंकमणचिंतणादीणं ।
चेठ्ठाणं सिद्धम्मि अभावो हदसव्वकरणम्मि॥2162॥
अतः चिन्तवन संभाषण या हलन चलन की कोई क्रिया ।
नहीं रहा सद्भाव सिद्ध को नष्ट हुई सब करण क्रिया॥2162॥
अन्वयार्थ : इन पूर्वोक्त कारणों से नष्ट किया है, समस्त क्रियाकाण्ड जिनने ऐसे सिद्ध भगवान में भाषण, गमन, चिंतनादि चेष्टा का अभाव है - ऐसा भगवान ने कहा है ।

  सदासुखदासजी