
अकसायत्तमवेदत्तम कारकदाविदेहदाचेव ।
अचलत्तमलेवत्तं च हुंति अच्चंतियाइं से॥2164॥
सम्पूर्णतया अकषायपना अरु अवेदित्व अकारकपन ।
विदेहत्व अरु अचलपना निर्लेपपना हो सिद्धों को॥2164॥
अन्वयार्थ : इन सिद्ध भगवान को कषायरहितपना, वेदरहितपना, षट्कारकरहितपना, देहरहितता, अचलपना, कर्मलेप रहितपना - ये समस्त गुण प्रगट हुए हैं, वे गुण विनाशरहित हैं तथा कषायादि सहितरूप अनन्तानन्त काल में भी नहीं होते हैं ।
सदासुखदासजी