
एवं पण्डिदमरणेण करंति सव्वदुक्खाणं ।
अंतं णिरंतराया णिव्वाणमणुत्तरं पत्ता॥2166॥
इसप्रकार पंडित-पंडित मृत्यु से सर्व दुःखों का अन्त ।
सर्वाेत्कृष्ट निरन्तराय शिव सुख पाते हैं मुनि भगवन्त॥2166॥
अन्वयार्थ : इसप्रकार पण्डितपण्डितमरण द्वारा समस्त दु:खों का नाश करते हैं और आराधना के प्रभाव से निर्विघ्न होकर सर्वोत्कृष्ट निर्वाण को प्राप्त हुए हैं । इसप्रकार बहत्तर गाथाओं द्वारा पण्डितपण्डितमरण का कथन पूर्ण किया ।
सदासुखदासजी