
एवं एसा आराधणा सभेदा समासदो वुत्ता ।
आराधण णिबद्धं सव्वंपि हु होदि सुदणाणं॥2170॥
इसप्रकार आराधन के भेदों का किया कथन संक्षिप्त ।
आराधना स्वरूप जानिए द्वादशांग श्रुतज्ञान समस्त॥2170॥
अन्वयार्थ : इसप्रकार इस आराधना का भेदों सहित संक्षेप में वर्णन किया और इस आराधना से निबद्ध ही समस्त श्रुतज्ञान है ।
सदासुखदासजी