पं-सदासुखदासजी
अज्जजिणणंदिगणी, सव्वगुत्तगणि अज्जमित्तणंदीणं ।
अवगमिय पादमूले सम्मं सुत्तं च अत्थं च॥2172॥
जिननन्दि गणि सर्वगुप्त गणि और मित्रनन्दि आचार्य ।
पादमूल में सर्व अर्थ अरु सूत्र जान आगम अनुसार॥2172॥
सदासुखदासजी