+ मोक्षमार्ग में गमन कराने वाला उत्कृष्ट धर्म -
स जयति जिनदेवः सर्वविद्विश्वनाथो
वितथवचनहेतुक्रोधलोभाद्विमुक्त :
शिवपुरपथपान्थप्राणिपाथेयमुच्चै-
र्जनितपरमशर्मा येन धर्मोऽभ्यधायि ॥6॥
असत् वचन के हेतुभूत जो, क्रोध-लोभ से हुए विमुक्त ।
सकल ज्ञेय के ज्ञायक त्रिभुवन,-पति जिनदेव रहें जयवन्त ॥
शिवपुर-पथ के पथिकजनों को, दिया धर्म-उपदेश महान ।
परमोत्तम कल्याणभूत जो, भविजन को पाथेय समान ॥
अन्वयार्थ : सबके जानने वाले तथा तीन लोक के स्वामी और क्रोधलोभादिकर रहित इसीलये सत्य वचन के बोलने वाले श्री जिनदेव सदा जयवंत हैं जिन श्री जिनदेव ने मोक्षमार्ग को गमन करने वाले प्राणियों को पाथेय (टोसा) स्वरूप तथा उत्तम कल्याण के करने वाले उत्कृष्ट धर्म का निरूपण किया है