+ सप्त व्यसनों के नाम एवं उनके त्याग की प्रेरणा -
द्यूतमांससुरावेश्याखेटचौर्यपराङ्गनाः
महापापानि सप्तेति व्यसनानि त्यजेद्बुधः ॥16॥
जुआ मांस मदिरा वेश्या, आखेट चौर्य परनारी संग ।
सप्त व्यसन ये महापाप हैं, इनका त्याग करें बुधजन ॥
अन्वयार्थ : —१. जूआ खेलना, २. मांस खाना, ३. मद्य पीना, ४. वेश्या के साथ उपभोग करना, ५. शिकार खेलना , ६. चोरी करना, ७. परस्त्री का सेवन करना— ये सात व्यसनों के नाम हैं तथा विद्वानों को इन व्यसनों का त्याग अवश्य करना चाहिये ॥१६॥
आचार्य सप्तव्यसनों से उत्पन्न हुई हानि तथा सप्तव्यसनों के स्वरूप को पृथक् —२ वर्णन करते हैं । प्रथम ही दो श्लोकों में द्यूतनामक व्यसन का निषेध करते हैं।