
मोक्षस्य कारणमभीष्टुतमत्र लोके,
तद्धार्यते मुनिभिरङ्ग-बलात्तदन्नात् ।
तद्दीयते च गृहिणा गुरुभक्तिभाजा,
तस्माद्धृतो गृहिजनेन विमुक्तिमार्गः॥12॥
मुनि तन-बल से रत्नत्रय धारें, जो हो भोजन से प्राप्त ।
श्रावक दें आहार अत: वे, भी हैं शिवपथ के धारक॥
अन्वयार्थ : इस संसार में मोक्ष का कारण रत्नत्रय है, उस रत्नत्रय को शरीर में शक्ति होने पर मुनिगण पालते हैं । मुनियों के शरीर में शक्ति अन्न से आती है तथा मुनियों के लिए उस अन्न को श्रावक भक्तिपूर्वक देते हैं । इसलिए वास्तविक रीति से गृहस्थ ने ही मोक्षमार्ग को धारण किया है - ऐसा समझना चाहिए ।