+ कटु उपदेश से भी भयभीत न होने की प्रेरणा -
यद्यपि कदाचिदस्मिन् विपाकमधुरं तदात्वकटु किंचित् ।
त्वं तस्मान्मा भैषीर्यथातुरो भेषजादुग्रात् ॥३॥
अन्वयार्थ : यद्यपि इस (आत्मानुशासन) में प्रतिपादित किया जानेवाला कुछ सम्यग्दर्शनादि का उपदेश कदाचित् सुनने में अथवा आचरण के समय में थोडा सा कडुआ (दुःखदायक) प्रतीत हो सकता है, तो भी वह परिणाम में मधुर (हितकारक) ही होगा। इसलिये हे आत्मन् ! जिस प्रकार रोगी तीक्ष्ण (कडुवी) औषधि से नहीं डरता है उसी प्रकार तू भी उससे डरना नहीं ॥
Meaning : Although what is expounded here may occasionally appear to be a bit bitter, still it will result in favourable outcome. Just as the sick person does not get upset by the bitter pill, you also don’t get frightened.

  भावार्थ 

भावार्थ :

विशेषार्थ- जिस प्रकार ज्वर आदि से पीडित बुद्धिमान् मनुष्य उसको नष्ट करने के लिये चिरायता आदि कडुवी भी औषधि को प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण करता है,उसी प्रकार संसार के दुःख से पीडित भव्य जीवों को इस उपदेश को सुनकर प्रसन्नतापूर्वक तदनुसार आचरण करना चाहिये। कारण यह कि यद्यपि आचरण के समय वह कुछ कष्टकारक अवश्य दिखेगा तो भी उसका फल मधुर (मोक्षप्राप्ति) होगा॥३॥