+ लौकिक जीवों की मूर्खतापूर्ण प्रवृत्ति -
पिता पुत्रं पुत्रः पितरमभिसंधाय बहुधा
विमोहादीहेते सुखलवमवाप्तुं नृपपदम् ।
अहो मुग्धो लोको मृतिजननदंष्ट्रान्तरगतो
न पश्यत्यश्रान्तं तनुमपहरन्तं यमममुम् ॥३४॥
अन्वयार्थ : पिता पुत्र को तथा पुत्र पिता को धोखा देकर प्रायः वे दोनों ही मोह के वश होकर अल्प सुखवाले राजा के पद (सम्पत्ति) को प्राप्त करने के लिये प्रयत्न करते हैं । परन्तु आश्चर्य है कि मरण और जन्मरूप दाढों के बीच में प्राप्त हुआ यह मूर्ख प्राणी निरन्तर शरीर को नष्ट करनेवाले उस उद्यत यम को नहीं देखता है ॥३४॥
Meaning : Under the spell of delusion (moha), both, the son and the father, try to deceive each other for obtaining the mundane pleasures of kingship. It is strange that this silly world does not see the god-of-death (yama) who is incessantly snatching away this body, placed in the jaws of birth and death.

  भावार्थ 

भावार्थ :