
भावार्थ :
विशेषार्थ- सूर्य जिस प्रकार प्रभात समय में लालिमा को धारण करता है उसी प्रकार वह सन्ध्या समय में भी उक्त लालिमा को धारण करता है । परन्तु जहां प्रभातकालीन लालिमा उसके अभ्युदय (उदय या वृद्धि ) का कारण होती है वहां वह सन्ध्या समय की लालिमा उसके अधःपतन (अस्तगमन) का कारण होती है । ठीक इसी प्रकार से जो प्राणी अज्ञान को छोडकर तप एवं श्रुत आदि के विषय में राग को प्राप्त होता है वह राग उसके अभ्युदय-स्वर्ग-मोक्ष की प्राप्ति- का कारण होता है, किन्तु जो प्राणी विवेक को नष्ट करके अज्ञानभाव को प्राप्त होता हुआ विषयानुराग को धारण करता है वह अनुराग उसके अधःपतन का- नरक-निगोदादि की प्राप्ति का- कारण होता है। इस प्रकार तपश्रुतानुराग और विषयानुराग इन दोनों में अनुरागरूप से समानता के होने पर भी महान् अन्तर है- एक ऊर्ध्वगमन का कारण है और दूसरा अधोगमन का कारण है ॥१२४॥ |