
जीविताशा धनाशा च येषां तेषां विधिर्विधिः ।
किं करोति विधिस्तेषां येषामाशा निराशता ॥१६३॥
अन्वयार्थ : जिन जीवों के जीवन की अभिलाषा और धन की अभिलाषा रहती है उन्हीं जीवों का कर्म कुछ अनिष्ट कर सकता है- वह उनके प्रिय जीवन और धन को नष्ट करके हानि कर सकता है। परन्तु जिन जीवों की आशा- जीने की इच्छा और विषयतृष्णा- निःशेषतया नष्ट हो चुकी है उनका वह कर्म भला क्या अनिष्ट कर सकता है ? कुछ भी नहीं- यदि वह उनके जीवन और धन का अपहरण करता है तो वह उनके अभीष्ट को ही सम्पादित करता है ॥१६३॥
Meaning : Karma can do harm only to those who desire life and wealth; it can harm them by destroying their cherished life and wealth. What harm can karma cause to those whose desire for life and wealth has vanished completely? In fact, if it takes away their life or wealth, it furthers their cause.
भावार्थ