+ मिथ्यादृष्टि कौन ? -
मदिसुदणाणबलेण दु सच्छंदं बोल्लदे जिणुद्दिठ्ठं ।
जो सो होदि कुदिठ्ठी, ण होदि जिणमग्गलग्गरवो॥3॥
मतिश्रुतज्ञानबलेन तु स्वच्छंदं कथयति जिनोद्दिष्टम् ।
य: स भवति कुदृष्टि: न भवति जिनमार्गलग्नरव:॥
अन्वयार्थ : जो व्यक्ति मतिज्ञान व श्रुतज्ञान के बल से जिन उपदेश का स्वच्छन्दव्या (मनमर्जी तरीके से) कथन करता है, वह कुदृष्टि (मिथ्यादृष्टि) होता है, उसका कथन जिन-मार्ग पर आरूढ़ व्यक्ति का वचन नहीं होता ॥3॥