सुकुल-सुरूव-सुलक्खण-सुमइ-सुसिक्खा-सुशील-सुगुण-सुचरित्तं ।
सयलं सुहाणुहवणं विहवं जाणह सुपत्तदाणफलं ॥21॥
सुकुल-सुरूप-सुलक्षण-सुमति-सुशिक्षा-सुशील-सुगुण-सुचारित्रम् ।
सकलं सुखानुभवनं विभवं जानीहि सुपात्र-दानफलम्॥
अन्वयार्थ : उत्तम कुल, उत्तम रूप, उत्तम लक्षण, उत्तम बुद्धि, उत्तम शिक्षा, उत्तम प्रकृति , उत्तम गुण, उत्तम आचरण, समस्त सुखों कीअनुभूति और वैभव । सुपात्रदान के फल हैं । ऐसा जानो ॥21॥