खय-कुठ्ठ-मूल-सूला लूय-भयंकर-जलोयरक्खिसिरो ।
सीदुण्हवाहिरादी पूयादाणंतरायकम्मफलं ॥36॥
क्षय-कुठ-मूल-शूला: लूता-भगन्दर-जलोदर-अक्षि-शिर: ।
शीतोष्णव्याध्यादय: पूजादानान्तरायकर्मफलम्॥
अन्वयार्थ : क्षय (तपेदिक), कोढ़, मूल, शूल, लूता (दंश), भगंदर, जलोदर,और नेत्र व शिर के रोग, शीत-उष्ण (ज्वर आदि अनेक) व्याधियाँ । ये पूजा व दान (यापूजा-सम्बन्धी दान आदि) के शुभ कामों में विघ्न करने के कर्म-फल हैं ॥36॥