उग्गो तिव्वो दुो दुब्भावो दुस्सुदो दुरालावो ।
दुम्मदरदो विरुद्धो सो जीवो सम्म-उम्मुक्को ॥43॥
उग्र:, तीव्र:, दुष्ट:, दुर्भाव:, दु:श्रुत:, दुरालाप: ।
दुर्मदरत:, विरुद्ध:, स जीव: सम्यक्त्व-उन्मुक्त:॥
अन्वयार्थ : जो मनुष्य उग्र, तीव्र, दुष्ट स्वभाव वाला है, खोटी भावनाएँ करतारहता है, तथा जो मिथ्याज्ञानी, दुष्टभाषी,मिथ्या मद में अनुरक्त और धर्म-विरोधी होता है, वहसम्यक्त्व से रहित है ॥43॥