खुद्दो रुद्दो रुठ्ठो अणिठ्ठपिसुणो सगव्वियोसूयो ।
गायण-जायण-भंडण-दुस्सणसीलो दु सम्म-उम्मुक्को ॥44॥
क्षुद्र:, रुद्र:, रुष्ट: अनिष्टपिशुन: सगर्वित:, असूय: ।
गायन-याचन-भण्डन-दूषणशील: तु सम्यक्त्व-उन्मुक्त:॥
अन्वयार्थ : जो क्षुद्र, रुद्र, रुष्ट, अनिष्टकारी चुगली करने वाला, घमंडी व ईष्र्यालुहो, गाना-बजाना, माँगना और लड़ाई-झगड़ा करने वाला हो और जो दोष-स्वभावी हो, वहसम्यक्त्व से रहित है ॥44॥