बाणर-गद्दह-साण-गय-बग्घ-वराह-कराह ।
मक्खि-जलूय-सहाव णर जिणवरधम्मविणास ॥45॥
वानर-गर्दभ-श्वान-गज-व्याघ्र-वराह-कच्छप- ।
मक्षिका-जलूका-स्वभावो नर: जिनवर-धर्मविनाशक:॥
अन्वयार्थ : जो व्यक्ति बन्दर, गधा, कुत्ता, हाथी, बाघ, शूकर, कछुआ और मक्खी वजोंक के स्वभाव वाला होता है, वह जिनेन्द्र देव के धर्म का विनाश करने वाला होता है ॥45॥