विणओ भत्तिविहीणो महिलाणं रोदणं विणा णेहं ।
चागो वेरग्ग विणा एदेदो वारिदा भणिदा ॥71॥
विनयो भक्तिविहीन: महिलानां रोदनं विना स्नेहम् ।
त्यागो वैराग्यं विना, एते इत: वारिता: भणिता:॥
अन्वयार्थ : भक्ति से विहीन विनय, स्नेह-रहित महिलाओं का रोना, और वैराग्यके बिना त्याग । इस प्रकार ये निषिद्ध बताये गये हैं ॥71॥