वत्थुसमग्गो मूढो, लोही लब्भदि फलं जहा पच्छा ।
अण्णाणी जो विसयासत्तो लहदि तहा चेवं ॥73॥
वस्तुसमग्रो मूढ: लोभी लभते फलं यथा पश्चात् ।
अज्ञानी यो विषयासक्तो लभते तथा चैवम्॥
अन्वयार्थ : (धनादि) समग्र वस्तुओं से समृद्ध मूढ़ व लोभी व्यक्ति जिस प्रकारबाद में (दु:खादि अशुभ) फल को प्राप्त करता है, उसी तरह विषयासक्त अज्ञानी भी बादमें (कुत्सित) फल प्राप्त करता है ॥73॥