अज्झयणमेव झाणं पंचेन्दिय णिग्गहं कसायं पि ।
तत्तो पंचमयाले पवयणसारब्भासमेव कुज्जहो ॥90॥
अध्ययनमेव ध्यानं पञ्चेन्द्रियाणां निग्रह: कषायाणामपि ।
तस्मात् पञ्चमकाले प्रवचन-साराभ्यासमेव कुर्यात् ॥
अन्वयार्थ : (वर्तमान) पंचम काल में अध्ययन ही ध्यान है । इस से पाँचों इन्द्रियोंव कषायों का निग्रह भी होता है । इसलिए प्रवचन (जैन सिद्धान्त) के सारभूत (तत्त्व)का अभ्यास करना ही चाहिए ॥90॥