जे पावारंभरदा कसायजुत्ता परिग्गहासत्ता ।
लोयववहारपउरा ते साहू सम्म-उम्मुक्का ॥104॥
ये पापारम्भरता: कषाययुक्ता: परिग्रहासक्ता: ।
लोकव्यवहारप्रचुरा: ते साधव: सम्यक्त्वोन्मुक्ता: ॥
अन्वयार्थ : जो साधु पाप कार्यों में संलग्न रहते हैं, कषायों से युक्त हैं, परिग्रह मेंआसक्त हैं, और लोक-व्यवहार में अधिक संलग्न हैं, वे सम्यक्त्व से रहित हैं ॥104॥