रसरुहिरमंसमेदठ्ठिसुकिलमलमुत्तपूयकिमिबहुलं ।
दुग्गंधमसुइचम्ममयमणिच्चमचेदणं पडणं ॥109 ॥
रसरुधिरमांसमेदोऽस्थिशुक्रमलमूत्रपूयकृमिबहुलम् ।
दुर्गन्धम्, अशुचिचर्ममयम्, अनित्यम्, अचेतनं पतनम् ॥
अन्वयार्थ : इस शरीर में रस, रुधिर, मांस, चर्बी, हड्डी, शुक्र, मल, मूत्र, पीव वकृमि की बहुलता है, वह दुर्गन्धित, अपवित्र, चर्ममय है, अनित्य है, अचेतन व पतनशीलभी है ॥109॥