
दव्वगुणपज्ज्एहिं जाणदि परसगसमयादिविभेदं ।
अप्पाणं जाणदि सो सिवगदिपहणायगो होदि ॥139॥
द्रव्यगुणपर्यायै: जानाति परस्वकसमयादिविभेदम् ।
आत्मानं जानाति स: शिवगतिपथनायको भवति ॥
अन्वयार्थ : जो द्रव्य, गुण व पर्यायों के साथ तथा पर समय व स्वसमय । इनभेदों के साथ आत्मा को जानता है, वह शिव गति के मार्ग का नायक होता है ॥139॥