बहिरंतरप्पभेदं परसमयं भण्णदे जिणिंदेहिं ।
परमप्पा सगसमयं, तब्भेदं जाण गुणठाणे ॥140॥
बहिरन्तरात्मभेद: परसमयो भण्यते जिनेन्द्रै: ।
परमात्मा स्वकसमय:, तद्भेदं जानीहि गुणस्थाने ॥
अन्वयार्थ : जिनेन्द्र भगवान् ने बहिरात्मा व अन्तरात्मा । इन दोनों भेदों को 'परसमय'कहा है । परमात्मा 'स्वसमय' है । इनके भेद (अन्तर) को गुणस्थानों की दृष्टि से जानें ॥140॥